24 घन्टे में जितना भी समय लगे ह्रदय के अंदर नाम का जप चलता रहे। सतगुरू गरीबदास महाराज जी कहते हैं-
जब ही नाम ह्र्दय धरयो, भयो पाप का नाश।
संसार अगर ह्रदय में रहेगा, तो पाप बढ़ेगा। अगर ह्रदय में परमात्मा को बिठायेंगे, तो पाप का नाश होगा। औऱ जब, पाप का नाश होगा, तो फिर जन्म मरण खत्म होगा। क्योकि, जो पाप है ये जन्म मरण का बीज है।और जब हम चिंतन करते हैं संसार का, तो संसार ह्रदय में बैठता है । जब चिंतन करते हैं परमात्मा का नाम जपते हैं, तो उस समय परमात्मा हमारे ह्रदय में होता हैं। जब परमात्मा ह्रदय में होते है, तो हमारे ह्रदय में शीतलता आएगी। शील, संतोष, विवेक, ज्ञान, विचार, दया, क्षमा ये गुण पैदा होंगे।
कोई पूछे कि भक्त के, सन्त के, लक्षण क्या होंते हैं? अगर हमे पता करना हो कि ये महापुरुष कितने पहुँचे हुऐ हैं।तो उनके किर्याकलापो से, उनकी वाणी से, उनके व्यवहार से,पता चल जाता है। और ऐसे महापुरुष जो सधे हुए हैं(परमात्मा से ज़ुड़े हुए हैं) उनके अन्दर शील होगा, सन्तोष होगा, दया होगी, क्षमा भाव होगा, विनम्रता होगी ये सारे गुणों से युक्त होंगे या ये गुण पैदा होने लग जायेंगे ।
और जो व्यक्ति काल से जुड़ा हुआ है उसके क्या लक्षण होंगे ? उसके अंदर कामनायें भरी होंगी, क्रोध होगा, लोभ होगा, मोह होगा, अहंकार होगा, राग द्वेष होगा, तृष्णा होगी ये सारे गुणों से ही हमें पता चलता है कि हमारा अन्तःकरण किससे जुड़ा हुआ है।अगर हम परमात्मा से जुड़े रहेंगे तो हमारे कर्मो में कटौती होती है।अन्दर से शांति मिलेगी और हर समय अन्दर भरा भरा लगेगा,सन्तोष लगेगा, सहज भाव से जीने लगेंगे और दिव्य शक्तियां हमारे ऊपर कृपा करने लगेंगी।
आपको पता होगा जब किसी का कभी एक्सीडेण्ट हुआ होगा तो बहुत भयानक एक्सीडेण्ट में भी वो ये शब्द जरूर कहेगा कि परमात्मा की किरपा थी बच गए, नही बचने की आशा नही थी। क्यों बच गये? क्योकि परमात्मा की किरपा थी। परमात्मा की किरपा क्यों थी? परमात्मा के लिये भी कुछ कार्य हमने किया हुआ था। उनकी सेवा में भी हम कभी-कभी जाते थे। तो हर समय नाम सुमिरन करना चाहिये। बार-बार गुरुदरबार मे जाने से भी कर्म कटते हैं। जब आप ज्योत का दर्शन करते हैं, दरबार का दर्शन करते हैं, इससे हमारे ग्रह चाल, हमारे पितृदोष, हमारे काल सर्प योग, हमारे मूलो में पैदा होने वाले। ये सारी चीज़ें जो पण्डितो ने, ज्योतिषों ने, बहका रखा है। ये सारी दूर होती हैं । ये सारा कुछ भी नही होता जो नाम जपता हैं उसके आगे ये सारी चीज़ें कुछ भी नही होती। इसलिये परमात्मा का नाम सुमरण करें और अंत समय सुमिरण करते-करते परमात्मा के धाम में जाये।
सत साहिब जी
महर्षि गंगादास जी महाराज
June 9, 2022, 5:10 pm
Satsahib pujniya Gurudev ji